क्राइमफाइटर उत्पत्ति श्रृंखला – सार
क्राइमफाइटर उत्पति श्रृंखला में अभी तक तीन कॉमिक्स आईं है जिनके नाम है क्राइमफाइटर, ब्लैक गोल्ड और मुखबिर। कहानी का अगला भाग जिसका नाम “मैं हूँ अंगरक्षक” जल्दी ही आने वाला है जिसमे क्राइम फाइटर के जन्म और उसके आरम्भ से जुडी कहानी कहानी बताई जाएगी। क्राइमफाइटर के बारे में कम शब्दों में कहें तो ये कहानी इंस्पेक्टर सौरभ सक्सेना की है जिसने कानून के हाथ बंधे होने के कारण अप्राधिओं को सजा देने के लिए चुना है गैर कानूनी तरीका और उसके लिए इंस्पेक्टर सौरभ को बन ना पड़ेगा क्राइमफाइटर।

क्राइमफाइटर उत्पत्ति श्रृंखला की कहानिया देश में कानून की नाक के नीचे होते गैरकानूनी कामो पर बनाई गई है। क्राइम फाइटर की कहानी बहुत ही सीधी और सरल है जो कहीं भी आप को हैरान करने या सवाल खड़े करने में नाकाम रहती है। ब्लैक गोल्ड और मुखबिर से कहानी में कुछ ऐसे मोड़ और पहलु आते है जिस से कॉमिक पढ़ने लायक हो पाती है। जहाँ ब्लैक गोल्ड में मुख्य आकर्षण उसके खलनायक की भूमिका रही वही मुखबिर एक नए और दिलचस्प किरदार से मिलवाने में कामयाब रहा। लेकिन दोनों ही कॉमिक्स में केवल ये दो ही हिस्से याद रखने लायक है।
क्राइमफाइटर उत्पत्ति श्रृंखला – कहानी की गति, विषय, पकड़ और असर – 4

क्राइमफाइटर उत्पत्ति श्रृंखला के तीनो ही भागो में विषय बहुत आम है और कहानी की गति बहुत धीमी। कहानी में दिलचस्पी केवल ब्लैक गोल्ड से बनती है जिसका कारण उसका चित्रांकन है। तीनो ही भाग किसी भी तरह से दिल जीतने में नाकाम रहते है। कुल मिला के असर औसत से निचे ही रहता है। कहानी के लेहजे से क्राइमफाइटर उत्पत्ति श्रृंखला निराशाजनक है।
क्राइमफाइटर उत्पत्ति श्रृंखला के सुलेख और ग्राफ़िक डिज़ाइन – 6

क्राइमफाइटर श्रृंखला के सुलेख कहानी में जान डाल पाने में नाकाम साबित होते है। हमारा ऐसा मान ना इसलिए है क्यूंकि कई बार साधारण कहानी भी अपने सुलेख के कारण पाठक के दिल में जगह बनाने में कामयाब हो जाती है।
ग्राफ़िक डिज़ाइन और कैलीग्राफी में कोई टिप्पणीय समस्या नहीं है।
क्राइमफाइटर उत्पत्ति श्रृंखला के अंदर का चित्रांकन – 5

श्रृंखला के अंदर का चित्रांकन दो कलाकारों ने किआ है।
क्राइमफाइटर में आर के सुदर्शन
और
ब्लैक गोल्ड, मुखबिर में गौरव श्रीवास्तव
गौरव श्रीवास्तव का इसमें शुरूआती काम है जिसकी तुलना अगर आज के काम से की जाए तो ज़मीन आसमान का फ़र्क है। लेकिन फिर भी ब्लैक गोल्ड से शुरू हुए उनके काम के साथ कॉमिक का स्तर थोड़ा ऊपर उठता है।
क्राइमफाइटर उत्पत्ति श्रृंखला का आवरण – 6.3
श्रृंखला के तीनो ही कॉमिक्स के आवरणों के चित्रांकन में थोड़ी थोड़ी कमी है। अगर एक सबसे बेहतर चुन ना हो तो हमें सबसे बेहतर ब्लैक गोल्ड का चित्रांकन लगा।
क्राइम फाइटर – तौफीक जी, ज़ाकिर हुसैन – 6

ब्लैक गोल्ड – गौरव श्रीवास्तव, ज़ाकिर हुसैन – 7

मुखबिर – गौरव श्रीवास्तव, ज़ाकिर हुसैन – 6

क्राइमफाइटर उत्पत्ति श्रृंखला – मुख्य सदस्य
- संपादक – फेनिल शेरडीवाला, बिपिनचंद्र शेरडीवाला, दिव्या शेरडीवाला
- लेखक – फेनिल शेरडीवाला
- चित्रांकन – आर के सुदर्शन (क्राइमफाइटर), गौरव श्रीवास्तव (ब्लैक गोल्ड, मुखबिर)
- रंगसज्जा – ज़ाकिर हुसैन
- कवर आर्ट – गौरव श्रीवास्तव, ज़ाकिर हुसैन (ब्लैक गोल्ड), तौफीक जी, ज़ाकिर हुसैन (क्राइमफाइटर)
- सहयोग – रेणुका शेरडीवाला, विदुर मोटावाला
- कैलीग्राफी – फेनिल शेरडीवाला
- सुलेख – परेश चेवली, तन्वी चेवली (क्राइमफाइटर)
- भाषा शुद्धिकरण – सौरभ सक्सेना, मंदार गंगेले (क्राइमफाइटर)

क्राइमफाइटर उत्पत्ति श्रृंखला – अन्य जानकारी
- कुल पन्ने – 96 (क्राइम फाइटर (32), ब्लैक गोल्ड (32), मुखबिर (32))
- भाषाओ में उपलब्ध – हिंदी
- मूल्य – 100 (क्राइम फाइटर (30), ब्लैक गोल्ड (30), मुखबिर (40))
- पेपर – ग्लॉसी
- कवर – पेपरबैक

क्राइमफाइटर उत्पत्ति श्रृंखला – कहाँ से खरीदे
क्राइमफाइटर उत्पत्ति श्रृंखला की कॉमिक्स सिर्फ और सिर्फ fenilcomics.com पर उपलदभ है। आप इसे स्पेशल कॉम्बो के अंतर्गत खरीद सकते है जो की बहुत सस्ता है।

क्राइमफाइटर, ब्लैक गोल्ड और मुखबिर - समीक्षा
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4/10
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6/10
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5/10
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6.3/10
क्राइमफाइटर, ब्लैक गोल्ड और मुखबिर - सार
क्राइमफाइटर उत्पत्ति श्रृंखला की कहानिया देश में कानून की नाक के नीचे होते गैरकानूनी कामो पर बनाई गई है। क्राइम फाइटर की कहानी बहुत ही सीधी और सरल है जो कहीं भी आप को हैरान करने या सवाल खड़े करने में नाकाम रहती है। ब्लैक गोल्ड और मुखबिर से कहानी में कुछ ऐसे मोड़ और पहलु आते है जिस से कॉमिक पढ़ने लायक हो पाती है। जहाँ ब्लैक गोल्ड में मुख्य आकर्षण उसके खलनायक की भूमिका रही वही मुखबिर एक नए और दिलचस्प किरदार से मिलवाने में कामयाब रहा। लेकिन दोनों ही कॉमिक्स में केवल ये दो ही हिस्से याद रखने लायक है।
Fenil comics ko apni comics ki gunawatta badhane ki kaafi aavashyakta hai , cover art hi itne bure lagate hai inside art ki toh baat hi chhod do😒😒
I have read this comic I like the story . But there is one problem the story is very slow in three parts also the story is even not near the end